नई दिल्ली. दो दर्जन से ज्यादा स्टार्टअप कंपनियों में निवेश करने वाले उद्योगपति और टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा का कहना है कि वे एक्सीडेंटल स्टार्टअप निवेशक हैं। यही नहीं वे निवेश का चयन किसी खास ज्ञान की बजाय कॉमन सेंस से करते हैं। इसके बाद भी स्टार्टअप कंपनियों में निवेश करने वाले टाटा सबसे सफल निवेशकों में से एक हैं।
चिराटे वेंचर्स के चेयरमैन सुधीर सेठी के साथ बातचीत में रतन टाटा ने कहा कि उनका स्टार्टअप निवेशक बन जाना एक एक्सीडेंट (बिना सोच-विचार के शुरुआत) की तरह है। जब वे टाटा समूह के साथ काम कर रहे थे तब भी स्टार्टअप हमेशा रोमांचित करते थे। लेकिन कहीं न कहीं इससे दूरी बनी रही, क्योंकि यह टाटा समूह के हितों से टकराव था। टाटा ने बताया, रिटायरमेंट के बाद टाटा समूह की जिम्मेदारियों से मुक्त होने पर उन्होंने आकर्षक दिखने वाली कंपनियों में खुद की जेब से छोटे-छोटे निवेश करने शुरू किए। 2-3 साल इस क्षेत्र में रहने के बाद यह एक सीखने वाला अनुभव रहा।
प्रमोटर की जिजीविषा और ललक काफी प्रभावित करती है
टाटा ये सारे निवेश अपनी निजी निवेश कंपनी आरएनटी एसोसिएट्स के माध्यम से करते हैं। किसी कंपनी के प्रमोटर की जिजीविषा, लगन, विचार और उनके द्वारा पेश किए जाने वाले समाधान उनके निर्णय में बड़ी भूमिका अदा करते हैं।
लेंसकार्ट, डॉग स्पॉट और क्योरफिट में भी निवेश किया
टाटा ऐप से टैक्सी बुकिंग सेवा देने वाली ओला और फिर डिजिटल पेमेंट पेटीएम, टाटा ने दोनों कंपनियों में 2015 से निवेश किया। पहला निवेश ई-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील में किया। रतन टाटा ने ऑनलाइन चश्मा स्टोर लेंसकार्ट, किराए पर घर उपलब्ध कराने वाली नेस्ट अवे और पालतू जानवरों की देखभाल वाले डॉग स्पॉट, फिटनेस की क्योरफिट जैसे स्टार्टअप में भी निवेश किया है।