धार. हत्या के 45 साल पुराने एक मामले में निर्दाेष काे जेल भेजने का मामला प्रकाश में आया है। काेर्ट में शपथ पत्र पर गलत जानकारी देने पर अब एसडीओपी कुक्षी मनाेहर बारिया पर अवमानना का केस चलेगा। गृह मंत्रालय के आदेश पर धार एसपी ने 5 अधिकारियाें की टीम गठित कर जांच कराई। मामले में फिंगर प्रिंट से खुलासा हुआ। हाइकाेर्ट के आदेश पर निर्दाेष व्यक्ति काे जेल से रिहा किया गया। मामले में काेर्ट ने प्रदेश सरकार काे पीड़ित काे 5 लाख रुपए देने के भी आदेश दिए हैं। हाईकाेर्ट इंदाैर ने अपने आदेश में कहा है कि यह मामला शेक्सपियर की कहानी की तरह है, ऐसी गलती न हाे।
काेर्ट के आदेश पर रिहा हुआ निर्दाेष हुसना
हाईकाेर्ट इंदाैर के जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस शैलेन्द्र शुक्ला की डिवीजन बेंच ने कमलेश की ओर से एडवोकेट देवेंद्र चौहान और सचिन पटेल द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को स्वीकार कर उक्त आदेश दिए। प्रकरण की सुनवाई के बाद 10 फरवरी 2020 काे हुसना पिता रामसिंग काे इंदाैर की सेंट्रेल जेल से रिहा करने के आदेश दिए गए।
एसपी ने गठित की 5 अफसरों की टीम, उनसे करवाई जांच
धार के एसपी आदित्य प्रताप सिंह ने 5 अधिकारियाें की टीम में एएसपी देवेंद्र पाटीदार, संयुक्त कलेक्टर विजय, दाे डाॅक्टर और एक फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट काे शामिल किया। टीम ने जांच कर रिपाेर्ट पेश की। मामले में जांच अधिकारी देवेंद्र पाटीदार ने कहा- चूंकि मामला 45 साल पुराना था। बाग के नीमखेड़ा जाकर भी जांच की। यहां जिस व्यक्ति काे जेल भेजा था, उसका भी नाम हुसना पिता रामसिंह था। उम्र भी उतनी ही थी। आधार कार्ड में समान बातें आ रही थी। मामला उलझता जा रहा था। पुराने रिकाॅर्ड से हुसना के फिंगर प्रिंट निकलवाए, जेल में बंद हुसना के फिंगर प्रिंट से मिलाए ताे वे मैच नहीं हुए।
बेटे ने पुलिस से लगाई गुहार, सुनवाई नहीं हुई तो कोर्ट पहुंचा
पुलिस ने वारंट जारी होने के बाद 18 सितंबर 2019 काे पुलिस ने हुसना पिता रामसिंग निवासी नीमखेड़ा थाना बाग काे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। हुसना के बेटे कमलेश ने पुलिस के समक्ष कहा कि उसके पिता हुसना पिता रामसिंग ने किसी की हत्या नहीं की है। वे निर्दाेष हैं, काेई अपराध नहीं किया, लेकिन उसकी बात नहीं सुनी गई। कमलेश ने हाईकाेर्ट इंदाैर में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। इस पर पुलिस ने काेर्ट में शपथ पत्र पर गलत जानकारी दे दी कि जिस हुसना काे जेल भेजा है वह सही व्यक्ति है। इस पर हाईकाेर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को निर्देश दिए कि वह इस मामले की पूरी जांच करे और बायोमेडिकल व अन्य जांच के आधार पर रिपोर्ट पेश करे। गृह मंत्रालय ने एसपी धार से मामले की रिपाेर्ट मांगी।
एक जैसे नाम होने से पुलिस समझ नहीं पाई
एएसपी पाटीदार ने बताया कि जब हमने मामले की तहकीकात की ताे पता चला कि हुसना की मां भीलीबाई ने टांडा थाने के नरवली के पास काकड़वा गांव के कलसिंग से शादी की थी। जब कलसिंग की मृत्यु हुई ताे तब हुसना छाेटा था। बाद में भीलीबाई ने नीमखेड़ा के रामसिंग से शादी कर ली। रामसिंग की दाे पत्नी थी। हुसना भी बचपन से रामसिंग काे पिता मानता था और उसका ही नाम पिता की जगह लिखता था। रामसिंग के दाे बेटे थे, जिन्हें बड़ा हुसना औ छाेटा हुसना कहते थे। इसी से गफलत हुई।
1975 में हुई थी हत्या, सही आरोपी जेल से पेरोल से छूटकर आया... लेकिन फिर नहीं गया था जेल
फरवरी 1975 में बाग में हुसना पिता रामसिंग नाम के एक व्यक्ति ने मकान का काम करने वाले व्यक्ति की तीर चलाकर हत्या कर दी थी। उसे गिरफ्तार कर सरदारपुर की जेल भेज दिया था। बाद में यहां से इंदाैर की सेंट्रल जेल भेज दिया गया। कुक्षी के न्यायालय में केस चला था। 1985 में हुसना पेरोल पर जेल से छूटकर आया, इसके बाद जेल गया ही नहीं। उसका गिरफ्तारी वारंट भी जारी हुआ, लेकिन वह गुजरात भाग गया। 10 सितंबर 2016 काे उसकी मृत्यु हाे गई। पुलिस ने 15 सितंबर 19 काे फिर वारंट जारी किया।